रानी जवाहर बाई: जब क्षत्राणियों ने जौहर की ज्वालाओं को छोड़ तलवार उठा ली
रानी जवाहर बाई: जब क्षत्राणियों ने जौहर की ज्वालाओं को छोड़ तलवार उठा ली चित्तौड़गढ़—यह केवल एक किला नहीं, बल्कि बलिदान, शौर्य और स्वाभिमान की जीवंत गाथा है। इस पावन धरा ने न जाने कितनी वीरांगनाओं की आहुतियाँ देखी हैं, जिन्होंने अपने प्राणों से इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ लिखे। लेकिन एक घटना ऐसी है, जिसने राजपूत आन-बान-शान की परिभाषा ही बदल दी। यह कहानी है रानी जवाहर बाई की, जिनकी अदम्य वीरता ने जौहर के स्थान पर तलवार उठाने का संदेश दिया और जिनके नेतृत्व में राजपूत क्षत्राणियों ने रणभूमि को रक्तरंजित कर दिया। जब मेवाड़ संकट में था महाराणा संग्राम सिंह के पुत्र विक्रमादित्य एक विलासी और अयोग्य शासक साबित हुए। जब उनके शासन की बागडोर हाथ में आई, तो कुप्रबंधन के कारण मेवाड़ में अव्यवस्था फैल गई। इस स्थिति का लाभ उठाते हुए पड़ोसी रियासतों मालवा और गुजरात के पठान शासकों ने चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण कर दिया। संकट की इस घड़ी में विक्रमादित्य ने युद्ध करने के बजाय अपने प्राण बचाने को प्राथमिकता दी और कायरता का परिचय देते हुए रणभूमि छोड़कर भाग खड़ा हुआ। शत्रु सेना के बढ़ते कदमों ...