जवाहर बाई राठौड़..
जिनकी ललकार से म्रत्यु भी भयाक्रांत हो गई थी
इतिहास गवाह है कई बार कायर को सिंहनी ब्याही गई पर समय आने पर वही सिंहनी रणचण्डी बन उठ खड़ी हुई !
यह उस कालखंड की घटना है जब महाराणा के महाप्रयाण के पश्चात उनके पद पे विक्रमादित्य आरूढ़ हुए..
विक्रमादित्य एक विलासी और अयोग्य शाशक थे जिनका विवाह मेवाड़ की सिंहनी कहलाई जाने वाली जवाहर बाईसा से हुआ था..
अपनी अयोग्यता के कारण जब विक्रमादित्य बहादुर शाह के हाथों पराजित हो गए
राजपुताना इतिहास के अनुसार तब रानी कर्मावती के नेतृत्व में मेवाड़ की वीरांगनाओ ने जौहर हेतु जौहर कुंड में अग्नि प्रज्वल्लन कर ली थी म्रत्यु के वरण हेतु जब मेवाड़ की वीरांगनाओ ने अग्निकुंड में प्रवेश करना चाहा उसी क्षण एक ललकार गुंजायमान हुई ..की हम जौहर नही करेंगे, यह ललकार विक्रमादित्य की म्रत्यु के पश्चात वैधव्य को प्राप्त होने वाली सिंहनी जवाहर बाई सा की थी
जवाहर बाई सा ने हुंकार भरते हुए कहा कि यदि म्रत्यु को प्राप्त होना ही लक्ष्य है तो मातृभूमि के लिए लड़ते हुए वीरगति का चयन करेंगे न कि सतीत्व की रक्षार्थ शौर्य प्रदर्शन करते हुए जौहर करेंगे...
राजपूत नारियों को जवाहर बाई ने ललकारते हुए कहा-"वीर क्षत्राणियों ! जौहर करके हम सिर्फ अपने सतीत्व की ही रक्षा कर पाएंगी, इससे अपने देश की रक्षा नहीं सकती। उसके लिए तो तलवार लेकर शत्रु सेना से युद्ध करना होगा। हमें हर हाल में मरना तो है ही, इसलिए चुपचाप और असहाय की भांति जौहर की ज्वालाओं में जलने से अच्छा है हम शत्रु को मार कर मरें। युद्ध में शत्रुओं का ख़ून बहाकर रणगंगा में स्नान कर अपने जीवन को ही नहीं अपनी मृत्यु को भी सार्थक बनाएँ। रानी जवाहर बाई की इस ललकार को सुनकर जौहर को उद्धत कई अगणित राजपूत वीरांगनाएं हाथों में तलवारें थाम युद्ध के लिए उद्धत हो गई। चितौड़ के किले में एक ओर जौहर यज्ञ की प्रचंड ज्वालाएँ धधक रही थी तो दूसरी ओर एक अद्भुत आग का दरिया बह रहा था।
रानी जवाहर बाई के नेतृत्व में घोड़ों पर सवार, हाथों में नंगी तलवारें लिए वीर वधुओं का यह दल शत्रु सेना पर कहर ढा रहा था। जवाहर बाई सा की एक ललकार पे असंख्य वीरांगनाओ ने शस्त्रसन्धान करते हुए रणचण्डी का स्वरूप धारण कर रण आंगन में प्रवेश किया.. उन असंख्य वीरांगनाओ में कई स्त्रियां गर्भ धारण किये हुए थी ..किन्तु हाथ मे खड्ग और नंगी तलवार लिए उन वीरांगनाओ ने रण क्षेत्र को रक्त वैतरणी में परिवर्तित कर दिया ... इस प्रकार सतीत्व के साथ स्वत्व और देश रक्षा के लिए रानी जवाहर बाई के नेतृत्व में इन क्षत्रिय वीरांगनाओं ने जो अद्भुत शौर्य प्रदर्शन किया करते हुए वीरगति प्राप्त की।